हम बस भावना और विचार तक ही सीमित न रह जाए इस बात पर ध्यान दे
प्रश्न अगर हैं तीक्ष्ण तो ,
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उपदेशों ही मूर्खाणां प्रकोपेच न च शांतय्
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हम सबके पास शाम को घर लौटने का ऑप्शन रहना ज़रूरी है...हम लाइ
माँ मैथिली आओर विश्वक प्राण मैथिली --- रामइकबाल सिंह 'राकेश'
विश्वेश्वर महादेव
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
झूठे सारे रूप है, सत्य एक भगवान
जिसकी शाख़ों पर रहे पत्ते नहीं..