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14 Sep 2023 · 1 min read

गरीब की दिवाली।।

बच्चों ने मुझसे आज न पटाखे मांगे हैं,
न ही कहा पिता जी मिठाई तो लाओगे।
रोटी की भूख मन ही मन में झेल रहे थे,
न खुश से एक पिता के बच्चे खेल रहे थे।

रुकते हुए कदम न लड़खड़ाने दिए हैं,
गड़बड़ है बस यही कि ये पानी के दिए हैं।
यूं तो हमारी भी दिवाली अच्छी गुजरती,
लेकिन कमी यही है के रोटी ही नहीं है।।

अभिषेक सोनी
(एम०एससी०, बी०एड०)
ललितपर, उत्तर–प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 242 Views

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