ग़ज़ल _ मुझे मालूम उल्फत भी बढ़ी तकरार से लेकिन ।
- संकल्पो की सौरभ बनी रहे -
कैसे निभाऍं उसको, कैसे करें गुज़ारा।
बिखर गई INDIA की टीम बारी बारी ,
यूंही नहीं बनता जीवन में कोई
दोहा पंचक. . . . . प्रीति
अभावों में देखों खो रहा बचपन ।
स्वर्ग से सुंदर मेरा भारत
हमें एक-दूसरे को परस्पर समझना होगा,
जन्मोत्सव अंजनि के लाल का
माज़ी में जनाब ग़ालिब नज़र आएगा