Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2023 · 3 min read

प्रकृति

रस्सी वाली बाल्टी लेकर गांव के कुएं से पानी खींचती महिलाओं में चर्चा हो रही थी आषाढ़ का पूरा माह बीत गया और सावन महीना भी आधा होने को आया है लेकिन अब तक बारिश की बूंदों का आगमन यहां हुआ नहीं है। कुएं का पानी भी सुख कर बिल्कुल तलहटी तक पहुंचने को है जिससे पनिहारिनों की बाल्टियों में पानी के साथ साथ कीचड़ भी आना शुरू हो गया था।

गांव वालों की निस्तारी का एकमात्र साधन तालाब भी लगभग सुख चुका था उसमें नाम मात्र का पानी बचा था जो तालाब के बीचोंबिच थोड़े से क्षेत्र में कीचड़ के साथ जमा था। गांव वाले जैसे तैसे उसी में अपनी निस्तारी करते आ रहे थे।पिछले साल भी बारिश सामान्य से कम ही हुई थी जिससे खेतिहर किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

अब इस साल भी अब तक मानसून के दर्शन नहीं होने से किसान बादलों की ओर उम्मीद भरी नजरें टिकाए बैठे थे। सूखे और अकाल की आशंका से गांव के निवासियों का दिलो दिमाग कांप रहा था। गांव के मंदिर में जाकर भगवान से प्रार्थना करने के अलावा अन्य और कोई उपाय उन्हें नहीं सूझता था।

कुछ समय बीता और सरकार की नजर अब उनकी इस समस्या पर पड़ी थी या भगवान ने उनकी पुकार सुन ली थी, उस गांव में एक शासकीय प्रतिनिधि ग्राम सहायक के रूप में आए थे और उन्हें इस समस्या के कारणों और निदान के बारे में समझा रहे थे।

शाम का अंधेरा घिरने के बाद पंचायत की चौपाल में ग्रामीणों को इकट्ठा करके ग्राम सहायक जी ने अपने साथ लाए बड़े प्रोजेक्टर में उन्हें वर्षा में कमी या फिर वर्षा न होने के कारणों को दिखाते हुए वीडियो दिखाते हुए बताया कि दिन ब दिन कम हो रही वर्षा के पीछे सबसे बड़ा कारण उनके ही द्वारा अंधाधुंध काटे जाने वाले पेड़ पौधे हैं।

पेड़ पौधे बारिश कराने वाले बादलों को आकर्षित करके वर्षा कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उन्हें ही काटकर हम खुद प्रकृति का संतुलन गड़बड़ा कर अपने विनाश को न्योता दे रहे हैं। उनकी इन बातों ने गांव वालों की आंखें खोल दी थी और अब उन्होंने प्रण कर लिया था की गांव में कोई भी इंसान अब पेड़ नहीं काटेगा और अब से हर कोई अपने खेतों और घरों में पेड़ पौधे लगाएंगे।

दूसरे दिन से ही उन्होंने इस योजना पर काम शुरू कर दिया था और इस साल उन्होंने जमकर पेड़ पौधे लगाए जो इस साल की थोड़ी बहुत हुई बारिश में सींचकर बढ़ने लगे थे। कुछ साल में ही वे पेड़ पौधे बढ़ गए थे और गांव में चारों तरफ हरियाली दिखाई दे रही थी। इसका असर वहां के मौसम पर भी हुआ और प्रकृति ने उनके इस परिश्रम का पूरा प्रतिफल उन्हें देकर इस साल वहां जमकर बादलों को बरसाया था जिससे एक बार फिर से उस गांव में चहुं ओर हरियाली छाई हुई थी।

“यदि हम प्रकृति के नियमों का पालन नहीं करके अपने लाभ के लिए उसे नुकसान पहुंचाएंगे तो फिर प्रकृति भी हमें नहीं बक्शेगी और हमारा पालन करना छोड़कर हमें विनाश की ओर ले जाएगी।”

✍️मुकेश कुमार सोनकर”सोनकरजी”
रायपुर, छत्तीसगढ़ मो.नं.9827597473

2 Likes · 416 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

कौन हूँ मैं ?
कौन हूँ मैं ?
पूनम झा 'प्रथमा'
कलम व्याध को बेच चुके हो न्याय भला लिक्खोगे कैसे?
कलम व्याध को बेच चुके हो न्याय भला लिक्खोगे कैसे?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
सराब -ए -आप में खो गया हूं ,
सराब -ए -आप में खो गया हूं ,
Shyam Sundar Subramanian
ऑरोबोरोस और हीरामणि हवेली (उपन्यास)
ऑरोबोरोस और हीरामणि हवेली (उपन्यास)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
आग लगी थी सीने में।
आग लगी थी सीने में।
Rj Anand Prajapati
पत्थर - पत्थर सींचते ,
पत्थर - पत्थर सींचते ,
Mahendra Narayan
4881.*पूर्णिका*
4881.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
We make Challenges easy and
We make Challenges easy and
Bhupendra Rawat
आंखों की चमक ऐसी, बिजली सी चमकने दो।
आंखों की चमक ऐसी, बिजली सी चमकने दो।
सत्य कुमार प्रेमी
ଏହା କୌଣସି ପ୍ରଶ୍ନ ନୁହେଁ, ଏହା ଏକ ଉତ୍ତର ।
ଏହା କୌଣସି ପ୍ରଶ୍ନ ନୁହେଁ, ଏହା ଏକ ଉତ୍ତର ।
Otteri Selvakumar
समय कि धारा में
समय कि धारा में
Radha Bablu mishra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
हाइकु (#मैथिली_भाषा)
हाइकु (#मैथिली_भाषा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मैं क्या खाक लिखती हूँ ??
मैं क्या खाक लिखती हूँ ??
MUSKAAN YADAV
"तेरे बगैर"
Dr. Kishan tandon kranti
दिल दिमाग़ के खेल में
दिल दिमाग़ के खेल में
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
मेरा दिल भर आया बहुत सा
मेरा दिल भर आया बहुत सा
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*मैया की शेर की सवारी हुई (भजन/हिंदी गजल)*
*मैया की शेर की सवारी हुई (भजन/हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
हर विषम से विषम परिस्थिति में भी शांत रहना सबसे अच्छा हथियार
हर विषम से विषम परिस्थिति में भी शांत रहना सबसे अच्छा हथियार
Ankita Patel
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
लैला मजनू
लैला मजनू
पूर्वार्थ
रहने दो...
रहने दो...
Vivek Pandey
पुष्प सम तुम मुस्कुराओ तो जीवन है ।
पुष्प सम तुम मुस्कुराओ तो जीवन है ।
Neelam Sharma
अजनबी (एक मोहब्बत)
अजनबी (एक मोहब्बत)
Neeraj Kumar Agarwal
ग़ज़ल _जान है पहचान है ये, देश ही अभिमान है ।
ग़ज़ल _जान है पहचान है ये, देश ही अभिमान है ।
Neelofar Khan
.
.
Ragini Kumari
दिलचस्प (लघुकथा)
दिलचस्प (लघुकथा)
Indu Singh
छलिया तो देता सदा,
छलिया तो देता सदा,
sushil sarna
जूता जब भी मारा जाए,
जूता जब भी मारा जाए,
*प्रणय प्रभात*
राहत भरी चाहत
राहत भरी चाहत
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
Loading...