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28 Jul 2023 · 1 min read

*पहिए हैं हम दो प्रिये ,चलते अपनी चाल (कुंडलिया)*

पहिए हैं हम दो प्रिये ,चलते अपनी चाल (कुंडलिया)
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पहिए हैं हम दो प्रिये ,चलते अपनी चाल
बूढ़े यद्यपि हो गए ,फिर भी नहीं निढ़ाल
फिर भी नहीं निढ़ाल ,परस्पर बने सहारा
जब तक दो में प्राण ,एक मत समझो हारा
कहते रवि कविराय ,हमेशा प्रभु से कहिए
रखिएगा सौ साल , सुरक्षित दोनों पहिए
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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