मंगल छंद , धार छंद , पंक्ति छन्द
कुछ पुरुष होते है जिन्हें स्त्री के शरीर का आकर्षण नहीं बांध
बालों की सफेदी देखी तो ख्याल आया,
घर बदला,रस्ता बदला और जमाना बदल दिया
अंदाजा था तुम्हें हमारी हद का
मित्रो नमस्कार!
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
कविता चोरों को सप्रेम भेंट
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आप वो नहीं है जो आप खुद को समझते है बल्कि आप वही जो दुनिया आ
परिवार बचाओ (सामाजिक गीत)
अफसोस नही है मुझको, माँ भारती की भूमि पर मरने का
या खुदा तूने मुझे ये कैसा मंजर दिखाया है,