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22 Jun 2023 · 1 min read

पक्की छत

वो बदले मौसम की तरह
हम बदल नहीं पाए
जो भी आए ज़िंदगी में हमारी
वो हमें समझ नहीं पाए

है ये फ़ितरत इंसान की
हम समझ नहीं पाए
है जब कोई मतलब उसे
तभी आपके पास आए

हम जिसे प्यार समझे
वो उसके दिल में सभी के लिए आए
जिस जिस से भी कोई काम हो
वो बस उसके सामने मुस्कुराए

हंसी तो फँसी, ये सुना था हमने
लेकिन यहां तो वो हंसी से फसाए
पहुंचाकर तुमको इश्क़ की दुनिया में
वो ख़ुद अचानक ग़ायब हो जाए

है जो उसके पास
कोई तो हमें भी वो हुनर सिखाए
इस भंवर से निकलने की
कोई तो हमें आज राह बताए

काश मेरा दिल भी हो जाए पत्थर का
ताकि कोई मेरे दिल से न खेल पाए
बच जाऊँ मौसम के थपेड़ों से मैं भी
अब मुझे भी पक्की छत मिल जाए।

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