Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jun 2023 · 3 min read

#शख़्सियत…

#शख़्सियत…
■ सबसे बेहतर “डिबेट शो”
★ न्यूज़-24 पर संदीप चौधरी
【प्रणय प्रभात】
“तिल का ताड़” व “राई का पहाड़” बनाने और दिन-रात बेमतलब का कोहराम मचाने वाले चैनलों की देश में भरमार है। जिनमें “गला-फाड़” और “गुर्दा-फोड़” एंकरों की भारी भीड़ है। जिनका काम है 24 घण्टे टीआरपी के चक्कर में बेतुके मुद्दों पर “बहस” कराना। साथ ही सार-हीन संवाद को जबरन उत्तेजक बना कर बेहूदा लोगों को महिमा-मंडित करना। दलीय प्रवक्ता और राजनैतिक विश्लेषक के नाम पर फूहड़ता फैलाने और अपमानित होने के आदी दोयम दर्ज़े के सियासी कारकूनों से माथा-पच्ची कर दर्शकों का भेजा फ्राई करना और तर्क सुने बिना कुतर्क पर आमादा हो जाना। पूरी बात सुने बिना अपनी-अपनी थोपना और तयशुदा एजेंडा के तहत अपने एकपक्षीय और पालित-पोषित होने का सुबूत ख़ुद पेश कर देना।
अपने बड़बोलेपन और अधकचरा तथ्यों के सहारे पूर्वाग्रही अंदाज़ में ज़ुबानी जंग करना और अपनी गली (स्टूडियो) में अपनी पूंछ को खड़ा करके अपने आपको शेर या शेरनी साबित करना। दुम दबाने वाले छुटभैयों पर दहाड़ना और पलट कर गुर्राने वालों के आगे मिमियाना। कुल मिला कर नूरा-कुश्ती के अंदाज़ में अपना और जनता का टाइम खोटा करना। अलगाव और उन्माद के संवाहकों को झूठे तमगे देकर पैनलिस्ट बनाना और फ़ालतू के मुद्दे पर एक अंतहीन हो-हल्ले को जन्म देना। बड़े और कड़े मसलों की भ्रूण-हत्या करना और मनचाहे मोड़ पर कहानी को अधूरा छोड़ कर अगले ताने-बाने बुनने में उलझ जाना। जी हां, यही है “चैनली डिबेट्स” का सार। जो समस्या का निदान बन पाने के बजाय ख़ुद एक समस्या की वजह बन गई हैं।
इस बेहूदगी और लफ़्फ़ाज़ी के बीच एक होस्ट है, जिसका अपना एक मिज़ाज और मर्तबा है। जो अपने स्वाध्याय, विशद ज्ञान, धीर-गंभीर स्वभाव, बेबाक अंदाज़ और तार्किकता के बलबूते एक अलग रुतबा रखता है। ना फूहड़ बात करता है, ना बेहूदगी का मौका देता है। समयोचित मुद्दे पर सारगर्भित व समालोचनात्मक संवाद करने वाले इस एंकर का नाम है “संदीप चौधरी।” न्यूज़-24 पर बहस के अपने कार्यक्रम “सबसे बड़ा सवाल” में बिना किसी दुराग्रह के निष्पक्ष रुख बनाए रखना संदीप चौधरी की एक ख़ासियत है, जो उन्हें औरों से पूरी तरह अलग बनाती है। बहस के हर कार्यक्रम में उनके तेवर और कलेवर का लोहा आमंत्रित लोग भी मानते हैं। बहस को निर्णायक मोड़ या चिंतन-बिंदु तक ले जाने में उनकी अध्ययनशीलता, जानकारी व निर्भीकता बड़ी भूमिका अदा करती है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के नुनाइंदों के साथ उनका समान बर्ताव उनकी निष्पक्षता का एक प्रत्यक्ष प्रमाण है।
उनकी सबसे अच्छी बात अपने काम में स्वाभाविक नवाचार अपनाने की कोशिश है। जो उनका साहस साबित करती है। मिसाल बीते शनिवार की शाम मिली, जब “मणिपुर हिंसा” जैसे संवेदनशील विषय पर आयोजित बहस में श्री चौधरी ने किसी भी नेता को नहीं बुलाया और व्यापक चर्चा रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों व क्षेत्रीय जानकारों सहित विशेषज्ञ व मैदानी पत्रकारों के साथ की। जो अत्यंत सार्थक रही। सूट-बूट, मेकअप, टाई और दिखावटी चमक-दमक से दूर संदीप किस हद तक ज़मीनी हैं, इसका अंदाज़ा उनका व्यक्तित्व देता है। जो उनकी असाधारण योग्यता व दक्षता की तुलना में बेहद साधारण सा प्रतीत होता है।
अपने बहस के कार्यक्रम में नेता-नगरी के बजाय वास्तविक विशेषज्ञों व जानकारों को तरज़ीह देने वाले संदीप चौधरी का बहस कार्यक्रम तनाव पैदा नहीं करता। एक छुपे हुए सच को सामने लाने का प्रयास करते हुए समाधान सुझाता है। साथ ही यह भरोसा भी दिलाता है कि पत्रकारिता के क्षेत्र में अब भी कोई आवाज़ है जो बिकी नहीं है। अब भी कोई है जिसने सत्ता के दरबार में मुजरा या कोर्निश न करने के अपने संकल्प को संक्रमण की आंधी के बीच बचाए रखा है। संतोष की बात है कि “राजनीति की वैशाली” बन चुके देश में “नगर वधु” बनती जा रही मीडिया-बिरादरी में संदीप चौधरी जैसे गिने-चुने कैरेक्टर हैं जो अपने कैरेक्टर को सलामत रखे हुए हैं और अपनी आबरू समझौतावाद के हवाले करने के कतई मूड में नहीं है। कम से कम हाल-फ़िलहाल। अब आगे की राम जाने।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

1 Like · 356 Views

You may also like these posts

बुजुर्ग कहीं नहीं जाते ...( पितृ पक्ष अमावस्या विशेष )
बुजुर्ग कहीं नहीं जाते ...( पितृ पक्ष अमावस्या विशेष )
ओनिका सेतिया 'अनु '
मेरी निगाह को मेरे दिल का रास्ता कह लो
मेरी निगाह को मेरे दिल का रास्ता कह लो
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
Phool gufran
पूर्ण सत्य
पूर्ण सत्य
Rajesh Kumar Kaurav
2697.*पूर्णिका*
2697.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पैसे कमाने के लिए लोग नीचे तक गिर जाते हैं,
पैसे कमाने के लिए लोग नीचे तक गिर जाते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
योग दिवस
योग दिवस
Rambali Mishra
#वासंती बयार#
#वासंती बयार#
Madhavi Srivastava
घरौंदा
घरौंदा
Dr. Kishan tandon kranti
निर्मेष के दोहे
निर्मेष के दोहे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
धक धक धड़की धड़कनें,
धक धक धड़की धड़कनें,
sushil sarna
17. I am never alone
17. I am never alone
Santosh Khanna (world record holder)
जाड़ा
जाड़ा
नूरफातिमा खातून नूरी
बरसात
बरसात
Dr.Pratibha Prakash
खुद को खुदा न समझा,
खुद को खुदा न समझा,
$úDhÁ MãÚ₹Yá
सूनी आंखों से भी सपने तो देख लेता है।
सूनी आंखों से भी सपने तो देख लेता है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
- प्रेम की गहनता -
- प्रेम की गहनता -
bharat gehlot
इश्क की कीमत
इश्क की कीमत
Mangilal 713
सरस्वती बुआ जी की याद में
सरस्वती बुआ जी की याद में
Ravi Prakash
होता क्या है
होता क्या है
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
रिश्ते ज़ज़बत से नहीं,हैसियत से चलते हैं।
रिश्ते ज़ज़बत से नहीं,हैसियत से चलते हैं।
पूर्वार्थ
नफ़रत
नफ़रत
Sudhir srivastava
മണം.
മണം.
Heera S
कुछ हसरतें पाल कर भी शाम उदास रहा करती है,
कुछ हसरतें पाल कर भी शाम उदास रहा करती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नारी पुरुष
नारी पुरुष
Neeraj Agarwal
मृत्यु ही एक सच
मृत्यु ही एक सच
goutam shaw
*एक ग़ज़ल* :- ख़्वाब, फ़ुर्सत और इश़्क
*एक ग़ज़ल* :- ख़्वाब, फ़ुर्सत और इश़्क
मनोज कर्ण
नूतन वर्ष अभिनंदन
नूतन वर्ष अभिनंदन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
रातों की तन्हाई में
रातों की तन्हाई में
इशरत हिदायत ख़ान
मँझधार
मँझधार
Varun Singh Gautam
Loading...