Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
15 Jun 2023 · 1 min read

पता नहीं क्यूं गुड मॉर्निंग वाले मैसेज अब आते नहीं है

पता नहीं क्यूं गुड मॉर्निंग वाले मैसेज अब आते नहीं है
न जाने क्यूं गुड नाईट बोल कर अब हमें सुलाते नहीं है

कभी जिनकी चाहत सिर्फ़ हमारे लिए हुआ करती थी
पता नहीं क्यूं क्या हुआ, अब वो हमको चाहते नहीं हैं

कुछ भी, कैसे भी, करके कभी मिलने आया करते थे
पता नहीं क्यूं, अब वो किसी भी मोड़ पर पाते नहीं हैं

तन्हाई के खंजर, दिल में ज़ख्म बहुत गहरे कर रहे हैं
पता नहीं क्यूं वो मेरे’ जख्मों पर मरहम लाते नहीं हैं

‘आजाद’ से लिपट कर जो आजाद महसूस करते थे
पता नहीं क्यूं अब वो हमको’ सीने से लगाते नहीं हैं

– कवि आजाद मंडौरी

Loading...