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15 Jun 2023 · 1 min read

अब भी वक्त है

अब भी वक़्त है संभलने का
दुनियां के संग संग चलने का

मन का तो काम मचलने का
पर सीख, सलीखा ढलने का

निरंतर ये समय निकलने का
पीछे फ़िर हाथ, ना मलने का

कवि आजाद मंडौरी

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