Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
15 Jun 2023 · 1 min read

*शब्द*

शब्द
कभी कभी शब्दों से भी मार पड़ जाती है
कभी कभी शब्दों से भी राड बढ़ जाती है
कभी कभी शब्दों से भी बाढ़ बन जाती है
कभी कभी शब्दों से भी बात बन जाती हैं…..
इसलिए
शब्दों को मगज धरते सोचना चाहिए
बोलने से पहले शब्दों को तोलना चाहिए
क्या सही क्या गलत है शब्द जरा! आकंना चाहिए
समय परिस्थिति हाल को देख! शब्द बोलना चाहिए..
वरना
शब्द ही शब्द को ले बैठते हैं
कहीं सुख तो कहीं दुख देतें है
अपनी पहचान के हो शब्द तो ठीक है
वरना अपने ही शब्द!अपनी जुबां काट देते हैं..
इसलिए ध्यान रखें
तोल मोल के फिर शब्द बोल
समझ पडे ना! न मगज खोल
आवभगत में न वो शब्द जोड़
जो भारी पडे मन पे उसे देखकर मुह मोड़….
क्योंकि
शब्दों की भी अपनी एक परिसीमा होती हैं
रहगुज़र वो देख लकिरों पें अक्स खींचती है
नजरियाँ अपना क्या भापंता है उसे मालुम नहीं
वो तो बस शब्दों में गुथी एक हालात परिभाषा होतीं हैं
इसलिए समझों
हर एक शब्द का एक अहम रोल होता है
हालातों को देख वो भुमिका बदलता है
जो वक्त रहते शब्दांश हस्ती!करवटें लेता है
समझना है शब्दों का फैर ये ,तो दिलोदिमाग एक करना होता है…..
आपका अपना ही शब्द है जिसे समझना है आपको
जो हैं इर्दगिर्द तुम्हारें शब्द!उन्हें फिर से सुलझ के जानो
बस जरा सा आंख बंद कर चिंता नहीं तूम चिंतन करों
तब देखना!सब सहज हो जायेगा ये जानकर,उस शब्द का माजरा ऐसा क्यों…..
स्वरचित कविता
सुरेखा राठी

Loading...