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14 Jun 2023 · 1 min read

जगा गया कोई

फिर से मिलने की ख्वाहिश,
जगा गया कोई,
आज सपनों में आ गया कोई।

उनकी यादों में घिर के सोए थे,
क्यों सोते उठा गया कोई।

अश्क के नाले, बहते थे जिनपर,
भींगे तकिए सुखा गया कोई।

चश्मे बहते थे चश्मे नूरानी,
उनमें सुरमा सजा गया कोई।

रातें अमावस की पर ना जानू मै,
चाँदनी सी बिछा गया कोई।

तन्हा- तन्हा सी राहें जीने की,
आस दिल में जगा गया कोई।

‘इन्दु’ मेधों में डर के सोया था,
उषा को फिर बुला गया कोई।

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