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13 Jun 2023 · 1 min read

जिस दिन से

जिस दिन से,

अपने अस्तितव को पहचाना है मैंने

जिंदगी की उलझनों को ढ़केल

जीने लगी हूं मैं ।

सुबह सवेरे की भागदौड़ जो छूटी

थोड़ा आराम से देर तक सोने लगी हूं मैं

कुछ पल अपने लिए भी अब रखने लगी हूं मैं

थोड़ा योगा और व्यायाम भी करने लगी हूं मैं

जिस दिन से,

अपने अस्तित्व को पहचाना है मैंने,

जिंदगी को और भी खूबसूरत महसूस करने लगी हूं मैं ा

इस महामारी ने जो घेरा है दुनिया को

मेरी दुनिया घर में सिमट गई है

तरसते थे अब तक जिन पलों को

नजदीकियों के वह पल भी जीने लगी हूं मैं

बच्चों से घर आंगन जो बिखरा है

उनमें कुछ नए सपने संजोने लगी हूं मैं

जिस दिन से

अपने अस्तित्व को पहचाना है मैंने

हर दिन एक नई जिंदगी जी रही हूं मैं ।

घर की चारदीवारी में कैद किया

इस महामारी ने जिस दिन से

खुद को समय की पाबंदियों से मुक्त रखने लगी हूं मैं

हर पल हर लम्हा अपने हिसाब से जीने लगी हूं मैं

खुद से दो चार पल रूबरू होने लगी हूं मैं

खुद को अब आम से कुछ खास महसूस करने लगी हूं मैं

जिस दिन से,

अपने अस्तित्व को पहचाना है मैंने

जिंदगी के सभी खूबसूरत पल जीने लगी हूं मैं।

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