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13 Jun 2023 · 1 min read

संक्रांति

संक्रांति की
महक तो,
पुराने लोग जानते थे,
तिल और गुड की
वो मिठास तो
चली गई,
दादा नाना के साथ ,
जब दादी नानी ,
तिल गुड के लड्डू
बांधा करती थी ,
अब तो डार्क चाकलेट का,
नया जमाना है,
आजकल के,
रतजगा करने वाले,
युवा अब
सूरज के,
दर्शन करते ही नहीँ,
सूरज भी,
अपनी सारी आभा,
पहाड को,
नदी को,
तालाब को,
फूल और
पौधो को ही,
दे जाता है,
इसीलिए,
इनमे दिखता है ,
उल्लास,
मकर संक्रांत का।

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