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4 Jun 2023 · 2 min read

आज और कल

आज और कल ,कल में धरती आसमान का अन्तर
बीते हुए कल में महिलाओं ने खाना बनाना,परोसना पति के कपड़ा धोना शौभाग्य समझती थी और पति पत्नी और मां के हाथों का‌ बना भोजन से पूर्ण तृप्ति के ग्रहण किया करता था पर आज महिलाएं इन कार्यों को बोझ समझने लगी,पता नहीं आने वाले कल को और क्या स्थिति होगी।
कुछ महिलाएं स्वतंत्र रहना पसंद करती हैं, जबकि सनातन धर्म के अनुसार महिलाओं की सुरक्षा बंधन में है जिस प्रकार उच्च पदासीन व्यक्ति प्रोटोकाल के घेरे में रहता है, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री मंत्री, राष्ट्र पति ‌प्रोटोकाल के बंधन से बंधा होता है तो विचारणीय है कि संसार में सबसे उच्चासन में रहने वाली बहन, बेटियों के लिए स्वतंत्रता जरूरी है या बंधन।

नारी उच्चासन पर होती है पर उनकी मर्यादा रूपी सीढ़ी को धरती पर याने निम्नासन में रहने वाला पुरुष सम्हाले रहता है , पुनः विचारिये सीढ़ी के उपर बैठने वाले बड़ा या सीढ़ी,सम्हालने वाला ,कुल मिलाकर कर देखा जाय तो,आंख है तब प्रकाश भी चाहिए,और प्रकाश है तो आंख भी चाहिए,तभी हम देख पायेंगे ,आंख है पर प्रकाश नहीं या प्रकाश है आंख नहीं दोनों परिस्थितियों में दिख नहीं पायेगा।
वैसे ही संसार में नर बिना नारी का जीवन ब्यर्थ और नारी बिना नर का ज़िंदगी बेकार ,दोनों एक दुसरे का पूरक हैं ।बीत हुए कल में नारी पति परमेश्वर झमती थी और पति नारी को देवी समझकर उनके हाथो से बना भोजन प्रसादी समझकर बड़ा आनन्द पूर्वक ग्रहण करता था।आज नर-नारी की स्थिति देखकर ऐसा महसूस होता है कि आने वाले कल को विवाह करना भी जरूरी नहीं समझेंगे और पशुवत जिंदगी को अच्छा समझेंगे,जो विदेशों में कहीं कहीं सुननें को मिलता ‌है।
यह लेख में अपने अंदर की सोच लिख दिया, कोई जरूरी नहीं कि मैं जो लिखा वह सर्वमान्य हो,कटाक्ष भी हो सकता है,मुंडे मुंडे मतिर्भिना।

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