Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2024 · 1 min read

पतंग*

मुझे बचपन में भी
न भाता था
एक पतंग को
बांधकर उड़ाना
उसको कठपुतली की तरह
डोर से चलाना
कभी ऊपर कभी नीचे ले आना
पतंगों को आपस में लड़ाना
काट लेने पर
जोर-जोर से चिल्लाना
नीचे जमघट लग जाना
कभी कटी पतंग का
पेड़ में फंस जाना
हवा के झोंके से फट जाना
पल में सब कुछ खत्म हो जाना

मौलिक एवं स्वरचित
मधु शाह(१४-१-२१)

1 Like · 257 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

लोगों को और कब तलक उल्लू बनाओगे?
लोगों को और कब तलक उल्लू बनाओगे?
Abhishek Soni
प्यारे बप्पा
प्यारे बप्पा
Mamta Rani
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सोच रहा हूं
सोच रहा हूं
कृष्णकांत गुर्जर
एहसास
एहसास
Kanchan Khanna
अपनी हीं क़ैद में हूँ
अपनी हीं क़ैद में हूँ
Shweta Soni
नट का खेल
नट का खेल
C S Santoshi
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उफ़ ये कैसा असर दिल पे सरकार का
उफ़ ये कैसा असर दिल पे सरकार का
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
अंत
अंत
Slok maurya "umang"
जगतजननी माँ दुर्गा
जगतजननी माँ दुर्गा
gurudeenverma198
सोचते सोचते ये शाम भी निकल गयी
सोचते सोचते ये शाम भी निकल गयी
Vansh Agarwal
G
G
*प्रणय प्रभात*
हमने तो अपने नगमों में
हमने तो अपने नगमों में
Manoj Shrivastava
आत्मविश्वास जैसा
आत्मविश्वास जैसा
पूर्वार्थ
दूहौ
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
" रोटी "
Dr. Kishan tandon kranti
मम्मी ......
मम्मी ......
sushil sarna
मतभेदों की दीवारें गिराये बिना एकता, आत्मीयता, समता, ममता जै
मतभेदों की दीवारें गिराये बिना एकता, आत्मीयता, समता, ममता जै
ललकार भारद्वाज
आदर्श
आदर्श
Bodhisatva kastooriya
रामराज्य का आदर्श
रामराज्य का आदर्श
Sudhir srivastava
प्रिए है मधुशाला
प्रिए है मधुशाला
शान्ति स्वरूप अवस्थी
बुढ़ापा आता है सबको, सभी एहसास करते हैं ! उम्र जब ढ़लने लगती ह
बुढ़ापा आता है सबको, सभी एहसास करते हैं ! उम्र जब ढ़लने लगती ह
DrLakshman Jha Parimal
क्या लिखू , क्या भूलू
क्या लिखू , क्या भूलू
Abasaheb Sarjerao Mhaske
*Broken Chords*
*Broken Chords*
Poonam Matia
हमें अपने जीवन के हर गतिविधि को जानना होगा,
हमें अपने जीवन के हर गतिविधि को जानना होगा,
Ravikesh Jha
रक्षाबंधन....एक पर्व
रक्षाबंधन....एक पर्व
Neeraj Kumar Agarwal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
कण-कण में तुम बसे हुए हो, दशरथनंदन राम (गीत)
कण-कण में तुम बसे हुए हो, दशरथनंदन राम (गीत)
Ravi Prakash
शोर कितना भी ब-ज़ाहिर हो
शोर कितना भी ब-ज़ाहिर हो
Dr fauzia Naseem shad
Loading...