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24 May 2024 · 1 min read

पतंग*

मुझे बचपन में भी
न भाता था
एक पतंग को
बांधकर उड़ाना
उसको कठपुतली की तरह
डोर से चलाना
कभी ऊपर कभी नीचे ले आना
पतंगों को आपस में लड़ाना
काट लेने पर
जोर-जोर से चिल्लाना
नीचे जमघट लग जाना
कभी कटी पतंग का
पेड़ में फंस जाना
हवा के झोंके से फट जाना
पल में सब कुछ खत्म हो जाना

मौलिक एवं स्वरचित
मधु शाह(१४-१-२१)

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