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2 Jun 2023 · 1 min read

रात

तारों की ओढ़नी पहने
मचली कमसिन रात।
झींगुरों की पहन पायल
करती किससे बात?
चाॅंद की चाॅंदनी में
निखरा मासूम चेहरा।
हर किसी में होड़
मेरे सिर बंधे सेहरा।
मगर वह चिर युवती
है वह चिर क्वाॅंरी।
फिर भी जग शिशु पर
लुटाती ममता सारी।
किसी को देती थपकी
किसी के सजाती सपने।
सुनाती कभी लोरी
सुला गोद में अपने।
ऑंचल में बांधकर
शांति-सुधा जो लाती,
उस पीयूष को वह
सब पर छिटकाती।
—प्रतिभा आर्य
अलवर (राजस्थान)

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