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30 May 2023 · 1 min read

बड़ा मायूस बेचारा लगा वो।

ग़ज़ल

1222/1222/122
बड़ा मायूस बेचारा लगा वो।
मुझे बेहद दुखी बंदा लगा वो।1

सड़क बेहद तपी औ’र पांव नंगे,
धधकती आग पर चलता लगा वो।2

किसी से मिलने की उसको तड़प थी,
किसी की आंख का तारा लगा वो।3

जिधर देखो उधर था गम का आलम,
न देखा जाए नज्ज़ारा लगा वो।4

जिसे कहते थे सब सुंदर नहीं है,
किसी को चांद सा प्यारा लगा वो।5

दिखा लाचार औ’र असहाय बेबश,
अमीरों का महज चारा लगा वो।6

ये दुनिया प्यार से जीतोगे प्रेमी,
जो जीता युद्ध से हारा लगा वो।7

………✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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