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23 Oct 2018 · 1 min read

# अधूरी अभिव्यक्ति #

आज भी हथेलियों से
अपने दिल को
टटोलता हूँ मैं कि
कहीं तुम्हारी चाहत
शिथिल तो नहीं हो गई !

चेहरा भी तो
धूँधला सा गया आँखों में
कुम्हलाई गुलाब की तरह,
बदलती दुनिया में
धीरे-धीरे
ये नज़रे भी बदल गई है,
मगर इक गिरह
जो तुम्हारे-मेरे बीच थी
हाँ ! कमजोर जरूर हुई है
अभी खुली नहीं है।

यादों के बागीचों में
बूढे हिरणों के कुलाँचे
कम हो गये है,
अब तो शौक भी
रिश्वत लेना छोड़ चुका,
अन्तर्मन की अभिव्यक्ति तो
अभी भी अधूरी है
और
उखड़ती साँसों के
गलियारों में
ज़िन्दगी सिमटने लगी है ॥
.

Language: Hindi
451 Views
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