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27 May 2023 · 1 min read

दायरे से बाहर

बेहद सकून था तेरे दीदार से पहले
जिन्दगी खुशगवार थी प्यार से पहले।
थी बेताबी,बेचैनी न कोई हसरत
न थे यारों इतने बेक़रार से पहले ।
नींद,थी ख्वाब थे,थी तन्हाइयां भी
पर न थीं उलझनें इक़रार से पहले ।
गुजरा कई बार तेरी गली से था मैं
ऐसे बोझिल न थे रफ्तार से पहले।
सुबहोशाम,दिन-रात थे मेरे अपने
इतने हसीं न थे इंतज़ार से पहले ।
दिलो-दिमाग दुरुस्त रहे थे अपने
बड़े खुशमिजाज थे तक़रार से पहले।
अब अजय समझा आशिक़ी क्या है
शिगुफ़ा-ए-जवानी खुमार से पहले।
-अजय प्रसाद

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