रेलगाड़ी
लौह-पथ पर चलने वाली,
सबके मन को भाने वाली,
एक इंजन, कई डब्बों वाली,
कई गंतव्यों तक जाने वाली,
रेलगाड़ी;
पूरे भारत को एक सूत्र में,
बाँध रखी है प्रेम-सूत्र में,
नदी, मैदान व रेगिस्तान,
दौड़ती सम्पूर्ण हिंदुस्तान,
रेलगाड़ी….
डीजल, बिजली इंधन इसके,
स्वदेश निर्मित इंजन इसके,
नित नए आविष्कार का प्रतिफल,
दुरंतो, राजधानी, वंदे भारत,
रेलगाड़ी…
कई तरह के दर्जे इसमें,
साधारण, ए०सी०, शयनयान,
डाक, पार्सल व रसोई यान,
सबको साथ ले चलने वाली,
रेलगाड़ी…
ड्राइवर, गार्ड, पुलिस मैन,
टी०टी०, एस०एम०, लाइन मैन,
चाय-समोसा बेचने वाले
सबकी गृहस्थी चलाने वाली,
रेलगाड़ी…
मौलिक व स्वरचित
©® डॉ०श्री रमण
बेगूसराय (बिहार)