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23 May 2023 · 1 min read

हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।

हर अदा उनकी सच्ची हुनर था बहुत।
रोज़ कितने ही नाटक दिखाते रहे।।

फंस रहे ऐसा मुमकिन लगा ही नहीं ।
रोज़ जाले में अपने फंसाते रहे ।।

जो भी चाहा कहा हमने वो ही किया।
जिम्मेदारी मिली जो निभाते रहे।।

बक्स दी जिंदगी बस यही शुक्र है ।
हर अदाओं में जीवन लुटाते रहे।।

झूँठी कसमों से महफ़िल सजाते रहे।
गम का साथी प्रखर हूं बताते रहे।।

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