Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
17 May 2023 · 1 min read

*पिता (सात दोहे )*

पिता (सात दोहे )
———————————————–
( 1 )
जेठ दुपहरी में मिली ,ज्यों पेड़ों की छाँव।
चढ़े पिता की गोद में , नन्हे – से दो पाँव।।
( 2 )
घर में खुशियाँ मिल गईं ,सबको सौ-सौ बार।
नीवों में बैठा पिता , खुशियों का आधार।।
( 3 )
थका हुआ लेकर खड़ा ,घर का पूरा भार।
धन्यवाद तुमको पिता, अर्पित सौ-सौ बार।।
( 4 )
बन पाया जो खुद नहीं ,गढ़ता उसका रूप।
रंक पिता तो क्या हुआ ,बच्चे तो हों भूप।।
( 5 )
घर को गिरवी रख रची , बच्चों की तकदीर।
छिपी पिता में झाँकती, ईश्वर की तस्वीर।।
( 6 )
घर में सब की चाहतें , सबके कुछ अरमान।
पूरा करता है पिता ,ज्यों सोने की खान।।
( 7 )
जोड़ा जो कुछ कर दिया ,सब बच्चों के नाम।
जाने यह गलती हुई ,या फिर अच्छा काम।।
—————————————————
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Loading...