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16 May 2023 · 1 min read

अंधों के हाथ

अंधों के हाथ कभी जो लग
जाती किस्मत से कोई बटेर
तो वे इतराते घूमते ऐसे कि
जैसे हों वे धनाधिपति कुबेर
सही व्यवस्थाएं बनाने में उनका
कलेजा हो जाता है फांक फांक
फिर भी वे खुद को मानते हैं
प्रबंधन में औरों से चालाक
दूजों के दोष निहारते हर क्षण
करके दोनों नयनों में विस्तार
अपनी कमियों के लिए रखते
हर समय एक पे तर्क हजार
प्रभु हम पर करना कृपा रखना
ऐसे अंधों से सदैव दूर ही दूर
ताकि हमारे मानस में सदैव ही
उच्च हौसला कायम रहे भरपूर

Language: Hindi
235 Views
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