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14 May 2023 · 1 min read

वक्त-आहिस्ता चल

ए वक्त जरा आहिस्ता चल, सपनों की उड़ान बाकी है
तू बढ़ चला हवा के वेग से, सपनों का चलना अभी बाकी है
तुझे क्या मेरी ख्वाहिशों का, तू तो ठहरा मनचला
पग पग में है कुछ छोटे, कुछ बडे़ ख्वाहिश की दास्ताँ
ए वक्त तुझे क्या तेरा तो है केवल चलने से है वास्ता
ऐसा निष्ठुर कैसे हो जाता तू सब छोड़ चलता केवल अपने रास्ता
जीवन के संघर्ष में तू अगर दे देता मेरा साथ, मेरे सपनो पर रख देता अपना हाथ
सपने हो जाते थोड़े पूरे और थोड़े अधूरे, मैं भी कह पाता वक्त मेरे साथ है
तू ऐसा क्यू न बन जाता है, क्यू सबके साथ न रह पाता है
न रुकता केवल चलते रह जाता है, क्यू किसी के साथ न रह पाता है
कभी तो आहिस्ता चल सबके सपनों की उड़ान बाकी है
ऐ वक्त जरा आहिस्ता चल कई ख्वाब पूरे होने बाकी है

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