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28 Jan 2023 · 1 min read

गम्भीर हवाओं का रुख है

दुनिया में क्यों दुख ही दुख है
लुप्त हुआ हाय! कहाँ सुख है

नाव घिरे न भंवर में मित्रो
गम्भीर हवाओं का रुख़ है

दिन रैन जले है विरह अगन
देखा ना सजनी का मुख है

मालूम नहीं किस कारण से
मुझसे मेरा यार विमुख है

***

1 Like · 300 Views
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