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8 May 2023 · 1 min read

बिन बुलाए उधर गए होते

बिन बुलाए उधर गए होते
फिर ज़लालत से मर गए होते

ये ज़मीं कम नहीं है जन्नत से
आखि़रत से जो डर गए होते

प्यार में सीढ़ियाँ नहीं होतीं
वरना हम भी उतर गए होते

कै़द कोई तुम्हें नहीं करता
बन के खुश्बू बिखर गए होते

कोई नासूर का इलाज नहीं
ज़ख़्म होते तो भर गए होते

तुम ने आकर हमें समेट लिया
वरना कब के बिखर गए होते

हम से मिलने की अगर थी चाहत
तुम जमीं पर उतर गए होते

तुम को इक बार देख लेते अगर
आइने भी संवर गए होते

हमको क़ुदरत ने ज़ब्त बख़्षा है
वरना अरशद बिखर गए होते

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