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30 Apr 2023 · 1 min read

मजदूर

हे ! धरती के पुत्र स्वयं पर गर्व करो
केवल धन से बनता कोई महान नहीं
किसी झोपड़ी में बैठा मिल जायेगा
महलों में रहता है हिन्दुस्तान नहीं ।।

तुमने जब धरती का सीना चीरा
तब जाकर जग ने भोजन पाया है
और गगनचुंबी ढाँचे हैं जितने भी
तभी बने जब तुमने लौह गलाया है ।।

खून बहाया है तुमने सीमाओं पर
पर पाया अब तक पूरा सम्मान नहीं
किसी झोपड़ी में बैठा मिल जायेगा
महलों में रहता है हिन्दुस्तान नहीं ।।

© अभिषेक पाण्डेय अभि

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