Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
12 Apr 2023 · 1 min read

अपनी टोली

काश होती मेरी भी
एक छोटी सी टोली
समझती जो मेरी हर बात
और वो मेरी हर बोली

जो कुछ कहता मैं
कभी बढ़ा चढ़ा कर
वो सच साबित कर देती
उसे हां में हां मिलाकर

इतना आसान भी नहीं है
यहां पर रहना
कब तक नज़रंदाज़ करेंगे
मुश्किल है कहना

कर लो स्वीकार तुम
उनकी दासता
किसी और से न रखो
तुम और वास्ता

अपना लेंगे तुम्हें सहर्ष
यही बचा है अब रास्ता
एक बार करके देख
उनके साथ तू नाश्ता।

Loading...