*जब नशा साँसों में घुलता, मस्त मादक चाल है (मुक्तक)*
जब नशा साँसों में घुलता, मस्त मादक चाल है (मुक्तक)
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जब नशा साँसों में घुलता, मस्त मादक चाल है
गाने लगी है जब प्रकृति, सुरमयी लय-ताल है
सब पेड़-पौधे झूमते हैं, और कोयल कूकती
निहितार्थ इसका आ गया, लो नया शुभ साल है
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451