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4 Apr 2023 · 1 min read

इल्म

जलती रही मशाले
महजे इक्लाख होने को
उठी कुछ आवाज़ों में
मैंने बगावत नही देखी

कहते हो कोकिल,
बदला है हिंदुस्ता
ठहरी कुछ आंखों में
मैंने आजादी नही देखी

कहते हो,
जलाओगे आलिम का दीया
दंगो की लपटों में छूटी
इल्म की दुकां नही देखी

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