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3 Apr 2023 · 1 min read

■ कविता

#भावाभिव्यक्ति
■ क्यों करूं पिता को याद…?
【प्रणय प्रभात】

“मैं अपने पिता को याद नहीं करता
कभी नहीं, कभी भी नहीं।
और क्यों करूं याद…?
याद भी उन्हें,
जिन्हें कभी भूला ही नहीं।
जो शिलालेख पर अंकित
बोध-वाक्य की तरह,
कालजयी हैं मेरे मानस-पटल पर।
कौन कहता है कि वो नहीं हैं…?
मैं कहता हूं कि
वो आज भी यहीं हैं।
मेरे कर्म में,
मेरे धर्म में।
मेरे ज़हन में,
मेरे मर्म में।
मेरे आचार-विचार-व्यवहार में,
मेरी हरेक जीत में और हार में।
यहां तक कि
मेरी सभ्यता और संस्कार में।
मुझे आभास होता है पल-पल
पिता के साथ का,
मेरा शीश सतत स्पर्श पाता है,
पिता के हाथ का।
मेरे लिए पितृ-दिवस जैसा
कोई एक दिनी त्यौहार नहीं,
मेरे लिए हर दिन पितृ-दिवस है।
क्योंकि मेरे अंदर मेरे पिता आज भी हैं।
जो जीवित रहेंगे मेरे जीवन तक,
और उसके बाद
मेरे सूक्ष्म स्वरूप में भी।
जो पहुंच जाऐंगे,
अपने वंश की अगली पीढ़ी में।
सिर्फ इसलिए कि मैने
अपने में अपने पिता को जिया है,
आख़िर मेरे पास जो भी है
सब उन्हीं का तो दिया है।।”
(अपने जीवनदाता, अपने मार्गदर्शी, अपने प्रेरणास्त्रोत अपने आदर्श पिता को उनके बेटे की ओर से सादर समर्पित काव्यात्मक भावाभिव्यक्ति)
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
■प्रणय प्रभात■
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

1 Like · 282 Views
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