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19 Mar 2023 · 1 min read

तू रुक ना पायेगा ।

तू रुक ना पायेगा,
बुद्ध सरण में जाने से।

बुद्ध है आते जब,
सब दौडे़ आते है,
उनके दर्शन को,
सब पाना चाहते है।

तू रुक ना पायेगा,
बुद्ध सरण में जाने से।…..(१)

मुख मंडल उनके देख ,
तू झुक ही जाएगा,
बुद्ध की करुणा तुझ पर,
बरस ही जाएगा।

तू रुक ना पायेगा,
बुद्ध सरण में जाने से।……(२)

उपदेश सुनेगा तू,
तू सुख ही पाएगा,
शांति जीवन में तेरे,
खुशहाली लाएगा।

तू रुक ना पायेगा,
बुद्ध सरण में जाने से।…….(३)

ज्ञान बुद्ध का तुझको,
भ्रम से दूर ले जाएगा,
सत्य अहिंसा का ,
जीवन में मार्ग अपनाएँ गा।

तू रुक ना पायेगा,
बुद्ध सरण में जाने से।……(४)

तेरा मन बस जाएगा,
मुख से कहता जाएगा,
बुद्धम् सरणं गच्छामि,
धन्य है धन्य है तू भगवान ।

तू रुक ना पायेगा,
बुद्ध सरण में जाने से।…….(५)

रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।

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