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24 Feb 2023 · 1 min read

हो समर्पित जीत तुमको

हो समर्पित जीत तुमको
हार मुझको चाहिए
हार मुझको चाहिए
ये बहाना ही सही
बस प्यार मुझको चाहिए
क्या करूँगा जी के वर्षों
हो विरत तुमसे यहाँ
तृष्णा यदि नीर की हो
अमृत से बुझती है कहाँ
तुम मिलो मुझे जिस घड़ी
पल दो चार ऐसे चाहिए
हो समर्पित जीत तुमको
हार मुझको चाहिए

* देवेश पराशर *

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