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13 Feb 2023 · 1 min read

#लघु कविता

#लघु कविता
■ मुझमें कौन नहीं…?
【प्रणय प्रभात】
“न्याय भावना अलगू वाली
दृढ़ता मानो पत्थर सी।
दया काबुली वाले जैसी
मासूमो में जान बसी।।
धनिया वाले होरी सा
अंतर्मन सच्चा रखता हूँ।
ईदगाह वाले हामिद सा
दिल मे बच्चा रखता हूँ।
वंशीधर हूँ मुझे
अलोपीदीन सुहाएंगे कैसे?
मैं सिरचन सा बतला मुझको
ताने भाएँगे कैसे??”7
हिंदी कथा साहित्य की कुछ कालजयी कथाओं के किरदार, जो मुझमें गहराई तक बसते हैं। उनके प्रति समर्पित एक छोटी सी कविता, जो अभी अधूरी है, किंतु आज इसे प्रस्तुत करने का मन है। शायद मौक़ा भी। इसे आप मेरा संक्षिप्त परिचय भी मान सकते हैं।

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