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9 Feb 2023 · 1 min read

ग़ज़ल - राना लिधौरी

#ग़ज़ल-वहां सबके खाते हैं-*

हाथ खाली आये थे, खाली हाथ जाते हैं।
करले तू भी नेकिया, वहां सबके खाते हैं।।

मैं तो हूं एक और सदा, एक ही रहूंगा।
मुझे फिर क्यों, हज़ारों नाम से इंसा बुलाते हैं।।

लेता हूं प्यार मैं भी करता हूं प्यार सबसे।
इंसा के अहम ही तो आपस में लड़ाते हैं।।

न तन की कोई फ़िक्र है, मन का कोई ठिकाना।
जब याद तेरी आती है तो ख़ुद को भूल जाते हैं।।

पत्थर भरी हैं राहें, चलना संभल के ‘राना’।
बात न माने किसी की, ठोकरें वो खाते हैं।।
***
*© #राजीव_नामदेव #राना_लिधौरी
संपादक-“#आकांक्षा” हिंदी पत्रिका
संपादक- ‘#अनुश्रुति’ बुंदेली पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori
( #राना_का_नज़राना (ग़ज़ल संग्रह-2015)- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के ग़ज़ल-98 पेज-106 से साभार

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