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4 Jan 2023 · 1 min read

" मुस्कराना सीख लो "

ग़ज़ल

पा गये गम तो भुलाना सीख लो !
दर्द में भी मुस्कराना सीख लो !!

नाव कागज़ की तिरायी हैं बहुत !
धार के उस पर जाना सीख लो !!

दोष मढ़ना तो यहाँ की रीत है !
जो घटा उसको भुलाना सीख लो !!

वक्त हरकारा ख़ुशी जो बाँटता ,
ख्वाब अपना खुद सजाना सीख लो !!

हार कर बैठे नहीं खामोश हो !
नाच औरों को नचाना सीख लो !!

जो गया वह लौटकर आता नहीं !
हाथ जो अवसर भुनाना सीख लो !!

प्रेम में एकात्म होना हो बिरज !
आँख से मोती गिराना सीख लो !!

स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )

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