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21 Nov 2022 · 1 min read

तुमसे बिछड़ के दिल को ठिकाना नहीं मिला

तुमसे बिछड़ के दिल को ठिकाना नहीं मिला
फिर प्यार का हसीं वो ज़माना नहीं मिला

यूँ ज़िन्दगी में लोग तो मिलते रहे बहुत
पागल बना दे ऐसा दिवाना नहीं मिला

सपने जो हमने देखे अधूरे ही रह गए
वो अपनी चाहतों का ख़ज़ाना नहीं मिला

तुमसे मिलन की चाह तो दिल में बनी रही
मिलने का फिर भी कोई बहाना नहीं मिला

वैसे हर एक साज़ रहा ज़िन्दगी में पर
मदहोश कर दे ऐसा तराना नहीं मिला

परवाज़ ही हुनर को नहीं मिल सकी कभी
उस को तराश दे वो घराना नहीं मिला

सब कोशिशों के बाद भी एहसास है यही
हमको किसी के दिल में ठिकाना नहीं मिला

हम तुम जहाँ मिले थे जगह वो वहीं मिली
गुज़रा हुआ वो वक़्त पुराना नहीं मिला

थे साथ हम तो ‘अर्चना’ मौसम भी था हसीन
तुम बिन कभी सफ़र वो सुहाना नहीं मिला

डॉ अर्चना गुप्ता

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