समाज में आवेगा सन्नाटो, व्यवेगा रिश्ता को भी घाटो।
समाज में आवेगा सन्नाटो, व्यवेगा रिश्ता को भी घाटो।
थोड़ो ध्यान थे भी लगा जो, बन्द करवाओ आटो – साटो।
जद छोरो देखो था आच्छों, तो छोरी ने भी पढ़वा जो ।
भाया के चक्क में, था मत कर्जों बहना को आटो – साटो
गढ़ जोड़ा न ठीक मिलवायो, ना देखो कुटुम्ब कबीलों।
भाई साब ननदोई बंणगयो, जो एक ही मां को जायो।
छोटी दे ओर छोरी लेवो, जद मति में पड़ गयो भाटो।
बेटा ने पारणावा खातिर, मत कर्जों थे आटो – साटो।।
नणद बाईसा नणद बन गया, देखो भाभी और भौजाई
कुण बेरि या रीत बनाई, सब रिश्ता पे छुरीया चलवाई
घणा भाया का घर टूट गया, तो बहना के घर सन्नाटो
छोरा के चक्क में, मत कर्जों छोरी को आटो – साटो
अनिल चौबीसा एडवोकेट
9829246588