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12 Nov 2022 · 1 min read

हमारा हौसला इश्क़ था - ग़ज़ल

– ” हमारा हौसला इश्क़ था ” -( ग़ज़ल )

याद ने उनकी जहां जहां क़दम बढ़ाये हैं ।
अश्कों ने मेरे वहां वहां ग़लीचे बिछाये हैं ।।

क्या करें.. हम अपनी आँखों का हमदम ।
ख़्वाब इसने हमें बेहद हसीन दिखाये हैं ।।

डर लगने लगा है अब तो वस्ल से हमको ।
हम बदनसीब……. तो हिज्र के सताये हैं ।।

हमारा हौसला इश्क़ था… सफ़र में यारों ।
रास्ते के पत्थर……. ख़ुद हमने हटाये हैं ।।

लेते हैं इम्तिहान मेरी दोस्ती का “काज़ी ” ।
दुश्मनों से भी रिश्ते शिद्दत से निभाये हैं ।।

©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
©काज़ीकीक़लम ©काज़ी

28/3/2, अहिल्या पल्टन , इकबाल कालोनी
इंदौर , जिला – इंदौर , मध्यप्रदेश …..

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