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14 Nov 2019 · 1 min read

मुक्तक

१.
लाज़मी है तेरा उठ के खड़ा होना
तारीख़ें गवाह है. ज़िद पे जो आई
आईना तो, पत्थर को भी तोडा है !
…सिद्धार्थ
२.
खुल कर हंसने दो, उछल कर गगन पे चढ़ने दो
छोटे- छोटे सपनों को सपनों का सोपान मिलने दो
…सिद्धार्थ

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