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30 Oct 2022 · 1 min read

सजना सिन्होरवाँ सुघर रहे, रहे बनल मोर अहिवात।

जल बीच खाड़ बरतिया ये छठि मइया, अँखिया से गीरे बरसात।
सजना सिन्होरवाँ सुघर रहे, रहे बनल मोर अहिवात।

असरा लगाई माई! करेली बरतिया।
रखिहें अमर माई! हमरो पीरितिया।

लोरवा गिराई माई बोलेली, छोड़ि दिहले सब गोत-नात।
सजना सिन्होरवाँ सुघर रहे, रहे बनल मोर अहिवात।।

रोई – रोई कहेली मनवाँ के बतिया।
दुखवा कलेशवा से हुकऽ उठे छतिया।

असरा पुराईं माई हियरा के, छटें दुर्दिनवाँ के रात।
सजना सिन्होरवाँ सुघर रहे, रहे बनल मोर अहिवात।।

असरा लगाई ऊ तऽ जोहेलि पहरवाँ।
उगिहें सूरुज कबऽ होई भिनुसरवाँ।

हथवा में अरघा के सूप लेई, बाड़ी ऊ तऽ खाड़ भर रात।
सजना सिन्होरवाँ सुघर रहे, रहे बनल मोर अहिवात।।

लिखलें शुकुल सचिन माई के भजनवाँ।
गावले नवीन बाबू धई के धयनवाँ।

सुनि के मगन मन पुलकित , हर्षित झुमेला गात।
सजना सिन्होरवाँ सुघर रहे, रहे बनल मोर अहिवात।।

✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’

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