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18 Oct 2022 · 1 min read

गजल – बिन बेटी ये संसार नहीं

समझो तो बेटी भार नहीं।
बिन बेटी ये संसार नहीं।

मूल यही मानों इस जग की,
बेटी जैसा आधार नहीं।

स्वर्ग – सदन बेटी से होता,
बिन बेटी तो परिवार नहीं।

महके जिससे घर आँगन ये,
बेटी सा मिलता प्यार नहीं।

पढ़-लिख रचती इतिहास यहॉं,
बेटी जैसा किरदार नहीं।

बेटा यदि आँखों का तारा,
बिन बेटी कुछ साकार नहीं।

चाहे घूमों गाबा – काशी,
बिन बेटी तो उद्धार नहीं।

रचनाकार
बलबीर सिंह वर्मा “वागीश”
गाँव – रिसालिया खेड़ा
सिरसा (हरियाणा)

Language: Hindi
208 Views
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