*साठ वर्ष : सात दोहे*
साठ वर्ष : सात दोहे
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(1)
साठ साल का हो गया ,प्रभु सौ बार प्रणाम
अंतिम क्षण तक चाहता ,करें अंग सब काम
(2)
असली धन सेहत सदा ,मुझ को दो अविराम
धनवानों में इस तरह ,लिखना मेरा नाम
(3)
चले सतत यह लेखनी ,देना मत विश्राम
लिखूँ सत्य शिव सुंदरम ,रचना हो अभिराम
(4)
आयु मिले सौ वर्ष या ,नव्वे अस्सी साठ
सद्भावों का दे सदा ,सबको सुंदर पाठ
(5)
एक मुसाफिर हूँ यहाँ , रहे हमेशा भान
नहीं किसी को घर मिला ,जग का यही विधान
(6)
चाह न कम होती कभी ,भरता कभी न कोष
जीवन में प्रभु दीजिए ,मुझको धन – संतोष
(7)
क्या खोया-पाया यहाँ ,क्या ले जाता साथ
आया खाली हाथ था ,जाता खाली हाथ
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451