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3 Sep 2022 · 1 min read

✍️लोग कठपुतली से...!✍️

✍️लोग कठपुतली से…!✍️
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कीचड़ से सने हर तालाब में कमल खिल रहे है
धरा पे नहीं पाँव गगन से उनके हाथ मिल रहे है

सियासत के बादशाह खुदा से खौफ़ नहीं खाते
सारे पाप पुण्य उनके बूलंद इरादों में पल रहे है

महफ़िल में उनके जी हुजूरी की वो बात करते थे
लहज़ा बदलते ही उन जुबाँ पर खंजर चल रहे है

सुबह शाम जहर उगलनेवाले वे खुराफाती दिमाग
अब दिनरात जाने जिगर बनकर गले मिल रहे है

‘अशांत’लोग आदि हुए तमाशे के कठपुतली से
बस यहाँ मेहनतकश लोगो के नंगे पैर जल रहे है
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✍️©’अशांत’ शेखर✍️
03/09/2022

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