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6 Sep 2022 · 1 min read

एक सुन्दरी है

एक सुन्दरी है
Just सामने
शरीर क्या ?
सबकुछ अच्छा!
नयनों की बिंदिया
भौंह की ज़वानी
केश की क्या
लगती चार चांदनी
बस समय का आलम है
पर है नहीं
वो तो पा ली
पर मैं नहीं
कोई और है
यौवन नहीं उसे
हॉफ पार भी नहीं
दो फूल भी इनके
फिर भी
दिल चाहता है
और मन भी
बस मिलूं हिय से
हिय से नहीं किन्तु
प्रेम की गहराई से
अपनी चरम पर
सृजन की छांव
फिर से चंचल करूं

प्रेम है या हवस!
क्या शरीर की प्रतिक्रिया..?

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