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23 Aug 2022 · 1 min read

तक़दीर की उड़ान

तक़दीर की उड़ान में हौंसला रखना होगा

घरौंदों मेंं रहकर भी मंजिल कहाँ मिली है
निकल पड़ो जहान में हौंसला रखना होगा

कदम रूके अगर यूँ मंजिल कहाँ मिली है
मुश्किलों के तुफान में हौंसला रखना होगा

सूरज की तपन हो या अंधियारी हों रातें
कष्टों के यूँ उफान में हौंसला रखना होगा

नाप ले अब उड़कर इस सारे जहान को
अथाह आसमान में हौंसला रखना होगा

जीवन के सफर पे एक पल नहीं ठहरना
‘विनोद’राह अंजान में हौंसला रखना होगा

स्वरचित
( विनोद चौहान )

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