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10 Jul 2022 · 1 min read

जनहित (लघुकथा)

जनहित (लघुकथा)
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मुख्यमंत्री जी के ड्राइंग रूम में नेताजी ने प्रवेश करते ही उनके पैर छुए और हाथ जोड़कर बोले “हजूर ! आपकी मेहरबानी चाहिए।”
मुख्यमंत्री मुस्कुराए ,बोले “कहिए”
नेताजी बोले “फाइव स्टार होटल का प्लान बनाया है । जमीन 99 साल के पट्टे पर मिल जाए तो आप का सदैव आभारी रहूंगा।”
मुख्यमंत्री ने कहा “काम तो बड़ा मुश्किल है ।आजकल सभी लोग चेकिंग करते हैं। देखिए क्या होता है ”
“नहीं-नहीं हजूर! यह काम तो आपको करना ही पड़ेगा । मैं सदैव आपका समर्थक हूं।”
मुख्यमंत्री ने रहस्य पूर्ण ढंग से मुस्कुराते हुए कहा “आप इतनी जिद कर रहे हैं तो समझिए काम पक्का ”
नेताजी उठकर खड़े हुए , चरण स्पर्श किए और चलते – चलते उन्होंने फाइल में से एक कागज निकालकर मुख्यमंत्री को पकड़ाते हुए कहा “यह ज्ञापन भी रख लीजिए। हमारे चुनाव क्षेत्र में गरीबी के हटाने के बारे में है।”
ज्ञापन देते हुए फोटोग्राफर ने फोटो खींचा। अगले दिन अखबार में केवल उसी ज्ञापन देते हुए का फोटो और समाचार छपा था।
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लेखक: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा ,रामपुर, उत्तर प्रदेश,
मोबाइल 99 97 615451

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