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22 Jun 2022 · 1 min read

क्या होती है ज़िंदगी

बनते बिगड़ते रिश्तों की
कहानी है ये ज़िंदगी
खुशियों और दुखों की
निशानी है ये ज़िंदगी
किसी के लिए दुखों का पहाड़
किसी के लिए जन्नत है ये ज़िंदगी
जी लो शान से इसे
जबतक है ये ज़िंदगी

कभी आंसू कभी मुस्कान
लगती है ये ज़िंदगी
मिलकर ही झेल सकते हैं जिसे
वो तूफान है ये ज़िंदगी
किसी के लिए दो रोटियां
जुगाड़ने की लड़ाई
तो किसी दूसरे के लिए
अरमान है ये ज़िंदगी

कभी लगता है छुप्पन छुपाई
का खेल है ये ज़िंदगी
देती है जो कुछ भी अंत में
सबकुछ छीन लेती है ये ज़िंदगी
जीवन और मृत्यु के बीच की
कड़ी होती है ये ज़िंदगी
जाने क्यों कभी कभी निष्ठुर
बड़ी होती है ये ज़िंदगी

कहीं धूप तो कहीं छांव
देती है ये ज़िंदगी
किसी को बैसाखी तो किसी को
पांव देती है ये ज़िंदगी
कभी हरी भरी घास का मैदान
लगती है ये ज़िंदगी
और कभी रेगिस्तान सी
वीरान लगती है ये ज़िंदगी

जैसी भी है, दुनिया पर जीवन
की पहचान है ये ज़िंदगी
कुछ और नहीं, खट्टे मीठे
अनुभवों का गुलदस्ता है ये ज़िंदगी
जी लो दिल से इसको तो
बहुत प्यारी है ये ज़िंदगी
जो न समझो तो कुछ नहीं
समझो तो हमारी है ये ज़िंदगी।

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