Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2022 · 3 min read

गज़लें

चंद गज़लें
1.
शायरों की महबूबा है गज़ल
आशिकों की दिलरुबा है गज़ल ।
अब क्या कहें कि क्या है गज़ल
बेजुबां शायरी की सदा है गज़ल ।
मीर,मोमिन,दाग,गालिब ही नहीं
कैफ़ि,दुष्यंत की दुआ है गज़ल ।
हुस्न की तारीफ,इश्क़ की नेमत
रकीबों के लिए बददुआ है गज़ल ।
बेबसों की बुलंद आवाज़ ही नहीं
इन्क़लाब की भी अदा है गज़ल ।
उर्दू की शान,अदब के लिए जान
मुशायरों के लिए शमा है गज़ल ।
हर दौर में निखर रही मुस्ल्सल
हर दौर की सच्ची सदा है गज़ल ।
औकात नहीं अजय तेरी, तू कहे
तेरे लिए तो इक बला है गज़ल ।
-अजय प्रसाद

2.

खुद से ही आज खुद लड़ रहा आदमी

अपनी ही जात से डर रहा आदमी

दौड़ते भागते सोते औ जागते

सपनो के ढेर पर सड़ रहा आदमी ।

इस कदर मतलबी बन गया आज वो

खुद के ही नज़रो में गड़ रहा आदमी ।

रात दिन छ्ल रहा अपने ही आपको

अपनो के पीछे ही पड़ रहा आदमी ।

अब अजय इस जमाने की क्या बात हो

आदमी से जहाँ जल रहा आदमी

-अजय प्रसाद
आशिक़ी मेरी सबसे जुदा रही

ज़िंदगी भर वो मुझसे खफ़ा रही ।

देखता मैं रहा प्यार से उन्हे

बेरुखी उनकी मुझ पर फिदा रही ।

ये अलग बात है उनके हम नहीं

वो हमेशा मगर दिलरुबा रही ।

रात भी, ख्व़ाब भी ,नींद भी मेरी

फ़िक्र तो उनके बश में सदा रही ।

जोड़ना दिल मेरी कोशिशों में थी

तोड़ना दिल तो उनकी अदा रही ।

वक्त के साथ वो भी बदल गए

वास्ते दिल में जिनके वफ़ा रही ।

क्या करें अब, अजय तू ज़रा बता

मेरी किस्मत ही मुझसे खफ़ा रही ।

-अजय प्रसाद

कत्ल कर के मेरा, कातिल रो पड़ा

कर सका कुछ जब न हासिल,रो पड़ा ।

खुश समन्दर था मुझे भी डूबो कर

अपनी लाचारी पे साहिल रो पड़ा ।

आया तो था वो दिखाने धूर्तता

सादगी पे मेरी कामिल रो पड़ा।

जो बने फिरते हैं खुद में औलिया

हरकतों पर उन की जाहिल रो पड़ा ।

की मदद मज़दूर ने मजदूर की

अपनी खुदगर्जी पे काबिल रो पड़ा ।

जा रही थी अर्थी मेरे प्यार की

हो के मैयत में मैं शामिल, रो पड़ा ।

बिक गया फ़िर न्याय पैसों के लिए

बेबसी पे अपनी आदिल रो पड़ा

-अजय प्रसाद

जाने वो लम्हा कब आएगा

जब कुआँ प्यासे तक जाएगा ।

झाँकना अपने अन्दर भी तू

खोखला खुद को ही पाएगा ।

कब्र को है यकीं जाने क्यों

लाश खुद ही चला आएगा ।

थूका जो आसमा पे कभी

तेरे चेह्रे पे ही आएगा ।

इश्क़ में लाख कर ले वफ़ा

बेवफ़ा फ़िर भी कह लाएगा ।

वक्त के साथ ही ज़ख्म भी

देखना तेरा भर जाएगा

रख अजय तू खुदा से उम्मीद

वो रहम तुझ पे भी खाएगा ।

-अजय प्रसाद

चार दिन चांदनी फिर वही रात है

आजकल इश्क़ में ऐसा ही हाल है ।

पानी के बुलबुले जैसी है आशिकी

अब न मजनू है कोई ,न फरहाद है ।

हुस्न में भी वो तासीर अब है कहाँ

वो न लैला न शीरी की हमजाद है ।

जिस्मों में सिमट कर वफ़ा रह गयी

खोखलेपन से लबरेज़ ज़ज्बात है ।

माशुका में न वो नाज़ुकी ही रही

आशिकों में कहाँ यार वो बात है

इश्क़ में इस कदर है चलन आजकल

रोज जैसे बदलते वो पोशाक है

मतलबी इश्क़ है मतलबी आशिकी

प्यार तो अब अजय सिर्फ़ उपहास है ।

-अजय प्रसाद

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 321 Views

You may also like these posts

श्याम तुम्हारे विरह की पीड़ा भजन अरविंद भारद्वाज
श्याम तुम्हारे विरह की पीड़ा भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
वो गलियाँ मंदर मुझे याद है।
वो गलियाँ मंदर मुझे याद है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बीता पल
बीता पल
Swami Ganganiya
*मंगल मिलन महोत्सव*
*मंगल मिलन महोत्सव*
*प्रणय*
23/65.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/65.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
Phool gufran
इश्क़ हो जाऊं
इश्क़ हो जाऊं
Shikha Mishra
"आजकल औरतों का जो पहनावा है ll
पूर्वार्थ
कोहिनूराँचल
कोहिनूराँचल
डिजेन्द्र कुर्रे
बीती रातें
बीती रातें
Rambali Mishra
आपको स्वयं के अलावा और कोई भी आपका सपना पूरा नहीं करेगा, बस
आपको स्वयं के अलावा और कोई भी आपका सपना पूरा नहीं करेगा, बस
Ravikesh Jha
मतदान
मतदान
Shutisha Rajput
सिलसिला ये प्यार का
सिलसिला ये प्यार का
सुशील भारती
"बस्तर का राजमहल"
Dr. Kishan tandon kranti
जैसे तुम कह दो वैसे नज़र आएं हम,
जैसे तुम कह दो वैसे नज़र आएं हम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दुर्जन अपनी नाक
दुर्जन अपनी नाक
RAMESH SHARMA
दुनिया की गाथा
दुनिया की गाथा
Anamika Tiwari 'annpurna '
राज्याभिषेक
राज्याभिषेक
Paras Nath Jha
सबक
सबक
अरशद रसूल बदायूंनी
सच तो हमेशा शांत रहता है
सच तो हमेशा शांत रहता है
Nitin Kulkarni
आज पुराना हो गया,
आज पुराना हो गया,
Sushil Sarna
नवरातन में बकरा...
नवरातन में बकरा...
आकाश महेशपुरी
"साम","दाम","दंड" व् “भेद" की व्यथा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
बन्धनहीन जीवन :......
बन्धनहीन जीवन :......
sushil sarna
मुसीबत
मुसीबत
Shyam Sundar Subramanian
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
तोटक छंद
तोटक छंद
Santosh Soni
* थके पथिक को *
* थके पथिक को *
surenderpal vaidya
रंजीत कुमार शुक्ला - हाजीपुर
रंजीत कुमार शुक्ला - हाजीपुर
हाजीपुर
कहते हैं वो समां लौट आयेगा,
कहते हैं वो समां लौट आयेगा,
श्याम सांवरा
Loading...